15 अगस्त यानी हमारी आजादी का दिन (सन् 1947) में हम और हमारा देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुए थे। इस आजादी के नाम पर 74 वर्षों से हम सब उत्साह के साथ मनाते आ रहे हैं। तब से आज तक हम अपनी आजादी का जश्न एक पर्व की तरह मनाते आ रहे हैं। सभी लोग अपनी अपनी खुशियां व्यक्त करने के लिए जश्न की हर मुमकिन कोशिश कर, इस दिन को यादगार बनाते हैं। तिरंगे की शान बढ़ाकर इस देश को महान बनाते है। एक छोटी सी शायरी और कविता के माध्यम से आजादी को अपने नाम किया है। अगर अच्छी लगे तो जय हिंद जरूर लिखें।
मोहब्बत करना है तो वतन की हवाओं से करो|
उन हसीन कमरों में क्या रखा है,
जो मज़ा जीने का हिन्द के तिरंगे में है,
वो मेहबूब की बांहों में कहा रखा है।
महसूस करना है तो हिंदुस्तान की मिट्टी को करो,
उन बदनाम जिस्मो की राहों में क्या रखा है|

हे भारत के वीर पुत्र
इस धरती का उद्धार करो।
इस धरती का उपकार है, तुझे पे
इस धरती से तुम प्यार करो।
इस मिट्टी पर ही रहकर तू ,
इस मिट्टी को क्यों नहीं जाना है।
जान ले अब, तू इस मिट्टी को
हिंदुस्तान ने तुझे अपना माना है ।
हे भारत के वीर पुत्र
इस धरती का उद्धार करो
लहराओ शान तिरंगे की,
इन तीन रंग को फैलाओ तुम।
चोथा चक्र हमारा है,
इस चक्र को बतलाओ तुम।
हे भारत के वीर पुत्र
शत्रुवो का संहार करो ,
इस देश में आगे बढ़ कर तुम,
इस देश की जय जयकार करो ।
हे भारत के वीरों तुम
इस धरती का उद्धार करो।।
ना हिन्दू ना मुसलमान हूं,
मै तो एक हिंदुस्तान हू।
क्यों लड़ते हो जाट पात पर
क्यों इतना अभिमान है।
मंदिर मस्जिद के चक्कर में
खून कतल क्यों कर रहे हो
अल्लाह और राम का नाम लेकर
क्यों उनसे नहीं डर रहे हो ।
हा में तो एक हिंदुस्तान हू।
ये वतन सिर्फ वतन नहीं ,
शान है हमारी ।
बुरी नजर डाली किसी ने तो,

ये देश हमारा है और हम सब इसके वासी हैं। ये देश हमें किसी से भेदभाव करना नहीं सिखाता है। हिंदू हो, मुस्लिम हो,सिख हो, ईसाई हो या कोई और हो इसके पहले वो एक हिंदुस्तानी है। हिंदुस्तानी होकर भी लोगों को एक दूसरे से भेदभाव नहीं करना चाहिए। आज 15 अगस्त है हम सब गिले-शिकवे भूलकर मिल कर जश्न मानते है। और इस दिन को एक आजादी वाली सलामी देकर खुद को हिंदुस्तानी होने पर गर्व महसूस करें।
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