लॉकडाउन जरूरी है भाई बात को समझिए, और दूसरो को समझाइए।
ये रूठा है, हमसे जमाना
मानया रूठे है,जमाने से हम
हम को खबर तक नहीं,
कि जमाने में रहते हैं हम।

आज हमारा जो माहौल है, इन सब से हम सब परिचित हैं कि हमें कोरोना नामक बीमारी ने इस कदर जकड़ रखा है। कि हम उससे उभर तक नहीं पा रहे हैं और अपने घरों में बंद है लेकिन हमारे घर में बंद रहने से इस प्राकृतिक को कितना फायदा हुआ है।आज हम इसी लॉकडाउन के ऊपर कुछ बातें करेंगे। आइए मिलकर हम सब अपनी राय रखते हैं और कुछ बातें करते हैं।
कोरोना मनुष्य के लिए वायरस है प्राकृतिक के लिए वरदान
कोरोना जो आज मानव की देन है, जिसका परिणाम आज हम सब और हमारा पूरा विश्व देख रहा है। जिसके जिम्मेदार हम ही हैं लेकिन आज प्रकृति ने हमें हमारी जिम्मेदारियों का एहसास कराया है। जो काम हम इंसानों को करना चाहिए था। वह आज प्रकृति ने खुद करके हमें सबक सिखाया है और ऐसी सजा दी है, जिसकी वजह से हम अपने घरों में कैद है।आइए हम सब यह जानते हैं कि हमारे घर में सिर्फ कुछ दिन रहने से कितना कुछ बाहर बदल गया है कितना प्रकृति में परिवर्तन आ रहा है इसीलिए कोरोना प्राकृतिक के लिए एक वरदान है।

लॉकडाउन से प्रकृति को फायदा
लोकडाउन यानी हम इंसानों का अपने घरों में कैद होना। जिससे प्रकृति को फायदा हुआ है। प्रकृति को नुकसान पहुंचाने वाले हम मनुष्य ही हैं, हम अपने सभी काम कर लेते हैं बस अपने कर्तव्य का पालन ( यानी प्रकृति के नियमों का पालन) नहीं कर पाते हैं।
हम इंसानों की वजह से प्राकृतिक का वातावरण दूषित होता जा रहा था। जहां दिन प्रतिदिन पेड़ पौधे काटे जा रहे थे हैं और इनकी जगह फैक्ट्रियां लगाई जा रही थी। और इन्हीं फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं हमारे वातावरण को इस हद तक प्रदूषित कर रहा था।जिसके कारण ओजोन परत का छिद्र बढ़ गया था और आज इस लॉकडाउन यानी हमारे घरों में रहने की वजह से हमारा वातावरण और इस ओजोन परत के छिद्र में काफी सुधार हुआ है ।हमारी गंगा माता जो हमेशा प्रदूषित रहती थी वह आज साफ जल के लहरों से खिलखिलाती नजर आ रही हैं। जो काम सरकार और हम इंसान दो हजार करोड़ रुपए खर्च करके भी नहीं कर पाए वह काम मात्र हमारे कुछ दिन घर में रहने से हो गया।हमारा हिमालय पर्वत 238 किलोमीटर दूरी से दिखाई पड़ रहा है यह सब हमारे लिए गर्व की बात होनी चाहिए। कि जो काम हम बाहर रहकर के कभी नहीं कर पाए वह काम कम से कम हमारे घर में रहने से हो पा रहा है। कहने को बहुत कुछ है पर अब सभी को होशियार बनना होगा और अपने कर्तव्य का पालन करना होगा तभी वातावरण और हमारा जीवन स्वच्छ व सुंदर हो पाएगा।
लॉकडाउन: पशु पक्षी की आज़ादी
पशु पक्षी जो, हम इंसानों का मनोरंजन का खिलौना बन गए थे। जिसे हम पिंजरे में बंद कर आनंद लेते थे घर में जबरदस्ती रख उनके साथ जुल्म करते थे। आज वह इस लॉकडॉउन की वजह से आजाद है और हम इंसानों को सीखने को मिला कि कोई जीव जंतु किसी के मनोरंजन के लिए नहीं होता। उनका भी एक जीवन होता है परिवार होता है और जब किसी को किसी के परिवार से अलग किया जाता है तो कैसा लगता है। यह बात आज वो हर इंसान समझ गया होगा।जो आज इस लॉकडाउन अपने परिवार से दूर है। पृथ्वी पर समस्त जीव जंतु को अपने तरीके से जीने का अधिकार है यह बात अब हम सभी को समझनी होगी और सभी को समझानी भी होगा।

लॉकडॉउन:परिवार के लिए समय
लाकडाउन की वज़ह से आज वो हर मनुष्य जो अपने परिवार बीबी बच्चों के साथ वक्त नहीं बीता पा रहा था। जो अपने काम के चलते अपने परिवार को वक्त नहीं दे पाता था। उनके साथ खुशी का पल नहीं बिता सकता था, आज हर वो इंसान अपनी बीवी बच्चों ,परिवार के साथ वक्त बिता पा रहा है। इसलिए हम तो यही कहेंगे कि अगर प्रकृति हमें सजा दे रही है,लेकिन इसमें भी हमारी कहीं ना कहीं भलाई है। जो हमें अपने परिवार के प्रति प्रेम कि भावना को मजबूत कर रही है।आज इंसानों के प्रति इंसान के लिए प्रेम भावना जाग रही है, जिससे हर इंसान आगे बढ़कर एक गरीब इंसान की मदद करने में लगा है,जो इंसान सिर्फ अपने बारे में सोचता था। आज अपने बारे में ना सोच कर दूसरे के बारे में भी सोचने पर मजबूर हो रहा है। और हर प्रकार की सहायता करने के लिए आगे बढ़ा रहा है।
लोकडाउन में लूडो खेला
लाकडाउन की वज़ह से हर वह इंसान जो अपने सगे संबंधी दोस्त यारों को भूल चुका था आज साथ में मिलकर घरों में साथ में समय बिता रहा है और और साथ में मिल कर खेलो का मज़ा ले रहा है।जो दूर है वो ऑनलाइन खेलो( लूडो खेल)रहा है जिससे उनके आपस के संबंध ओर भी अच्छे हो रहे है जिससे हमारे परिवार संबंधी मित्र प्रेमी के बीच एक अच्छी बॉन्डिंग बन रही है। अगर आप घर में परेशान है , अकेला महसूस कर रहे है, तो एक बार आप भी अपने करीबी लोगो के साथ जुड़ कर जरूर इन पलों का आनंद ले।और हां अगर लूडो खेला है,तो जरूर बताईए कॉमेंट करके ,अपने विचारो के साथ।
यह लॉकडाउन सिर्फ मनुष्य को घर में बंद रखकर संपूर्ण पृथ्वी को बदल दिया है। इसलिए हम इस लॉकडाउन एक मुसीबत ना कह कर हम सबके लिए एक यह एक युग परिवर्तन बना है। जो हमें समझना चाहिए, और प्रकृति के लिए हम सब को लॉकडाउन को एक त्योहार के रूप में मनाना चाहिए। प्रकृति ने हमें सजा देकर भी उसने हमारी भलाई की है। क्योंकि हमारा फर्ज बनता कि, हम प्रकृति के नियमों का पालन कर अपने और अपने वातावरण में एक नया परिवर्तन लाएं। और एक सुखी जीवन व्यतीत करने की तरफ अग्रसर हो।
धन्यवाद!
प्रकृति से हम हैं प्रकृति हमसे नहीं।
इसलिए इसका सम्मान करो, और इसके नियमों का पालन करना होगा। जय हिन्द