आज आपके सामने ऐसी कहानी लेकर आया हूं। जो पुराने जमाने में बाल विवाह जैसी रीति के साथ हुआ करती थी। लेकिन आज भी कुछ लोग इस रीति-रिवाज को मायने देते हैं। इस बात पर यकीन होता कि Beti bachao beti padhao जैसे नियम को मानने वाले लोग भी ऐसा कर सकते है,
और आज के पढ़े लिखे लोग भी ऐसी चिजो की महत्व देते है। तो यह कहानी ऐसी रीति रिवाज़ से जुड़े ऐसी शादी की है जो घर के बुजुर्गों की इच्छा के लिए अपने नाती पोते की शादी कर दी जाती है। चाहे उनकी इच्छा हो,या ना हो। ऐसा क्यों होता है। फिर Beti bachao beti padhao जैसे नियम का क्या मतलब है। अब Beti bachao beti padhao के साथ अब बेटी को लड़ना भी सिखाओ।
कि किसी लड़की या लड़का कि सहमति के बिना सिर्फ बुजुर्गों की इच्छा के लिए कि अपनी मृत्यु से पहले अपने पोता और पोती की शादी देखना चाहते हैं। लेकिन इस बात का ख्याल क्यों नहीं रहता की पोता और पोती या कोई भी हो उसकी उम्र का लिहाज तक ना किया जा सके। और उसकी मर्जी के खिलाफ शादी करा दी जाए। क्या एक इच्छा किसी की जिंदगी से बढ़कर होती है। आपको क्या लगता है ? अपनी राय अवश्य दें। तो बढ़ते हैं एक छोटी सी कहानी की ओर।
ज़रा खाव्हिशो का ख्याल
तो किया होता उसके।
कुर्बानी दे दी उसकी
अपनी ख्वाहिश के लिए बस।

कहानी एक लड़की की (Beti bachao beti padhao)
एक ऐसी लड़की जो अभी शायद 17 वर्ष की भी नहीं हुई थी। घर वाले पढ़े-लिखे और थोड़ा खुले विचारों के थे। उस लड़की ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करके आगे किसी अच्छे कॉलेज में अपने पढ़ाई को जारी रखना चाहती थी। उसके भी कुछ अपने सपने थे।जो वह पढ़-लिख कर पूरा करना चाहती थी। जिससे सभी को उस पर गर्व महसूस हो। यही सोच कर उसने आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए घरवालों से बोला। खुले विचार और पढ़ाई की कड़ी को समझाते हुए उसके पापा ने उसे आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए से शहर में व्यवस्था करा दी।
उस लड़की का शहर के अच्छे कॉलेज में दाखिला हुआ। उसने पूरे मन से पढ़ाई शुरू कर दी। नए कॉलेज में नए तरह के लोगो से मिलना। तरह-तरह के बातें उसके मन को काफी भा रही थी। उसके कई सारे दोस्त बने,धीरे-धीरे कॉलेज का 1 वर्ष बीतने पर आया। परीक्षाएं हुई और फिर कुछ दिनों की छुट्टियां।छुट्टियों में उसे घर जाना था। लेकिन उसके साथ कुछ ऐसा होने वाला था। जिसकी उसने शायद कल्पना ही कभी की हो वो घर पहुंची। घर पहुंच कर देखा कि कुछ तैयारियां हो रही थी।
लड़की- मां यह सब क्या हो रहा है ? कैसी तैयारी है?
मां- बेटी तेरी शादी के लिए लड़के वाले आ रहे हैं देखने के लिए।
लड़की- चुप सी हो गई। जैसे उसकी पढ़ाई ,आजादी और उसका जीवन अंधकार में डूबता नजर आ रहा हो। जिसको जबरदस्ती उसके मां-बाप डूबा रहे हो।
मां – बेटी तैयार हो जाओ वो लोग आते ही होंगे।
लड़की- लेकिन मां अचानक से ये सब, मुझसे किसी ने पूछा भी नहीं कि मैं क्या चाहती हूं और क्या नहीं। मां मेरी अभी पढ़ाई शुरू ही हुई है। और आप लोग ऐसा कर रहे हैं, मां मैं अभी पढ़ना चाहती हूं । कुछ सपने हैं मेरे जिन्हें पूरा करना चाहती हूं।
मां – बेटी शांत – शांत,मैंने तेरे पापा से यही सब बोला।लेकिन तेरी दादी की आखिरी इच्छा है। कि वह तेरी शादी देख सकें। दादी की अब तबीयत खराब रहने लगी है। डॉक्टर ने कहा है कि कुछ महीने और हैं इन के पास और तू तो अपने पापा को जानती ही है।
लड़की – लेकिन मां, (चुप सी हो गई)।
आंखों में आंसू भरे हुए पापा के पास जाती है। बड़े उम्मीदो के साथ कि पापा समझ जाएंगे।
लड़की- पापा यह सब क्या है ?
पापा- बेटा शादी तो एक ना एक दिन होनी ही है ।
लड़की – पर पापा मुझे अभी पढ़ना है। जीवन में बहुत कुछ करना है।
पापा- बेटी तेरी दादी की है ये आखिरी इच्छा है। कि अपनी आंखों के सामने तेरी शादी देखें। और रही बात पढ़ाई की तो वह शादी के बाद करते रहना।
लड़की– लेकिन पापा आप तो समझिए। मैं अभी शादी करना नहीं चाहती हूं। और ना मैं तैयार हूं, इसके लिये ।
पापा- बेटी ये मेरा आखिरी फैसला है। और तेरी दादी की आखिरी इच्छा है। उनकी आखिरी इच्छा पूरी करना मेरा सबसे बड़ा कर्तव्य है। इसलिए जाकर अब तुम तैयार हो जाओ।
आगे कुछ बोलती कि उसकी पहले ही,आंखों की नमी एक मोती के सामान आसुओं में बहने लगी। भागती हुई अपने कमरे में जा पहुंची। वह अपने पापा की सोच से हैरान थी।कि पापा पढ़े-लिखे होकर भी ऐसा कैसे कर सकते है। सिर्फ दादी कि इच्छा के लिए मेरी जिंगादी को बर्बाद कैसे कर सकते है।ये बात उसके मन में बैठ गई।शायद उसे अपना भविष्य साफ-साफ नजर आ रहा था।
ऐसे में उस लड़की को क्या करना चाहिए। अगर आप या हम में से कोई होता तो क्या करता ओर इस समय मन में क्या चल रहा होता। लोग अपनी इच्छा दूसरो पर थोप देते है आसानी से लेकिन जब खुदकी बारी आती है।तो इंसान को समझ में आने लगता है,की कितना गलत हो रहा है मेरे साथ। एक बार अपने आप को उस जगह पर रख कर सोचिए।,फिर बताईए की उस जगह हम में से कोई होता। तो क्या करता, एक बार अपनी राय अवश्य दे। और बताएं कि सिर्फ बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से क्या ये सही हो सकता है। सिर्फ बेटी को पढ़ा कर उसको बचाया नहीं जा सकता। उसके लिए हमें अपने सोच ऐसे रीति रिवाज जो दूसरो को ठेस पहुंचाए।उनको दूर करना होगा। हम ओर हमारा परिवार समाज एक खुशहाल जीवन यापन कर पाएगा।
आज के समय में भी लोग पढ़े – लिखे होकर ऐसा करते हैं । तो उन्हें हम क्या समझे। कभी – कभी उनके ऐसे फैसलों की वजह से उनके बच्चे गलत कदम उठाने पर मजबूर हो जाते है। बाद में उन्हें पछतावे के अलावा कुछ नहीं मिलता। क्या किसी का जीवन इतना सस्ता है कि उसे किसी के इच्छा से चलाया जाए।
मैं बुजुर्गों का सम्मान करता हूं । मैं मानता हूं कि वह हमसे तजुर्बे में उम्र में बड़े है, और हमें अच्छी सीख ही देंगे। लेकिन जरूरी तो यह भी नहीं कि उनका हर एक फैसला सही हो। और उस फैसले को लेकर किसी का जीवन ही बर्बाद कर दिया जाए। मैं सभी को ऐसा नहीं कहता,लेकिन जिनके घर में ऐसा होता है । वह बहुत ही गलत होता है। अपने बच्चे की इच्छा जानने की कोशिश सभी माता-पिता को करनी चाहिए। ये नहीं कि अपना फैसला उसके ऊपर सौंप दिया जाए। और बाद में वह बच्चा घुट-घुट कर जीने लगे। अपने बच्चे के साथ एक बार उनका दोस्त बन कर उसकी सभी बातें, फैसले क्या करना चाहता है जीवन में, क्या सही और क्या गलत है।
इन सबको समझना चाहिए। और उसकी भावनाओं को समझना चाहिए ।
इसलिए सिर्फ बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ से काम नहीं चलेगा । एक आवाज इस विषय पर उठानी पड़ेगी।अगर आप इस बात से सहमत है तो एक बार जरूर कॉमेंट करके बताए।ओर इस को दूसरो तक पहुंचाए।
जिससे उन लोगो की सोच बदले जो इन जैसी प्रथाओं को लेकर जी रहे है,अभी भी। उनको भी समझना चाहिए ,की किसी का जीवन खिलौना नहीं होता। जिसके साथ खेला जाए।
अगर किसी भी तरह की कोई त्रुटि हुई हो तो एक बार जरूर बताएं और क्षमा करें। मेरा किसी की भी भावनाओ को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है,लेकिन ये एक कड़वा सच है। जो अधिकतर इंसान अभी भी पढ़ा लिखा होकर भी करता है।
धन्यवाद!

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ओर साथ में बेटी को अब अपने हक के लिए लड़ना भी सिखाओ।
जय हिन्द!
Ati umda😍🌺🌺🌺🌺
शुक्रिया जी आपका बहुत बहुत❤️♥️☺️🙏
शुक्रिया 🙏♥️😊
Bilkul sahi….beti ko aapne haq k liye aawaz uthana bhi sikhana hai
Bhot badhiya👏👏👏
Ji bilkul
Shukriya apka 🙏☺️♥️❤️
Thank you so much ❤️🙏☺️♥️♥️
बेशक ऐसा ही कुछ लोग मानते है जो जोर जबदस्ती से बेटियों कि शादी करवा देते है। जिससे उनकी ज़िन्दगी चिन्न-भिन्न हो जाती है और उनके सपने भी टूट जाते है। इसलिए ऐसी परम्परा को नाश करना ही बेहतर है। और बेटी को पढ़ाने के साथ-साथ उसे लड़ना भी सीखना होगा ताकि वो किसी भी मुसीबतों का सामना खुद के दम पर कर सके।
Han ji bhai shukriya 🙏♥️☺️